Menu
blogid : 12424 postid : 29

बिजली और गूंगी गाएँ

शब्दों की दुनिया
शब्दों की दुनिया
  • 32 Posts
  • 30 Comments

बिजली की दरों में एक बार फिर होने वाली वृद्धि से आम जनता की कमर पर बोझ बढना तय है. महंगाई के इस स्वर्ण युग में हर चीज हाथों से दूर होती जा रही है .हमारे नीति-नियंताओं की अदूरदर्शी , अपरिपक्व और अस्पष्ट नीतियाँ ही हमारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य है . बिजली को लेकर पहले ही सारा देश आशंकित है . गत दिनों पूरे देश में अभूतपूर्व संकट के दर्शन हुए . समय समय पर ग्रिडों को हार्ट अटैक पड़ने की खबरें आती रहती हैं . कोयला कम्पनियां देश हित की जगह निजी हितों को साधने में लगी रहती हैं .ऐसी विकट परिस्थितियों में कुछ समय पहले किया गया सरकार का बिजली बिलों को माफ़ कर देने का फैसला कसक उठता है. लेकिन वोटों की राजनीति के आगे सब विवश हैं. बिजली बिलों की माफ़ी जनता को प्रेरित करती है कि बिल भरना समझदारी नही है .सरकार फिर बिलों को माफ़ करेगी .
गाँव हो ,शहर हो, सब जगह बिजली चोरी बड़ी समस्या है .बिजली उपयोग करने वालों को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है -पहला वर्ग जितनी बिजली इस्तेमाल करता है ,उतना बिल देता है .
दूसरा वर्ग बिजली तो ज्यादा इस्तेमाल करता है ,पर बिल देता है बहुत कम….. मतलब चोरी करता है .
तीसरा वर्ग बिजली इस्तेमाल करता है,पर बिल देता ही नही . घर में बिजली मीटर ही नही है, बिल देने का सवाल ही कहाँ उठता है. उसका बहाना -बिजली आती ही कहाँ है, जो मीटर लगवाया जाए.
औसत निकाला जाए तो बिजली चोरी करने वाले बहुत ज्यादा हैं . इन सब की बिजली का मूल्य चुकाना पड़ता है ,उन मुट्ठी भर लोगों को ,जो ईमान दारी और नैतिकता के स्वनिर्मित बंधन में बंधे हैं .अपनी नैतिकता और ईमानदारी के चलते ये लोग सरकार के लिए भी अच्छा विकल्प हैं .बिजली चोरी रोकने की आवश्यकता क्या है ? कर्मचारियों पर लगाम क्यूँ लगाई जाए ? बिजली आपूर्ति में बाधा आ रही है तो कोई बात नही . बिजली बोर्ड घाटे में जा रहें हैं तो ये दुधारू गायें कब काम आएँगी….. . बढ़ा दो बिजली की दरें ….. गूंगी गाएँ क्या बोलेंगी ?….. कुछ भी नही …..

– प्रभु दयाल हंस

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply